अल्सरेटिव कोलाइटिस
Ø लंबे समय से चल रहा आंतों का एक रोगजिससे पाचन तंत्र में सूजन आती है.
Ø दरअसल अल्सरेटिव कोलाइटिस अर्थात आईबीडी(व्रणमय बृहदांत्रशोथ) आंतो में होने वाली आटो इम्यून बीमारी है। जिसमें शरीर की प्रतिरोधकक्षमता खुद ही आंतो के खिलाफ एण्टीबॉडी बनाने लगती है।
Ø इस रोग में आंतों में घाव हो जाते हैं।इन घावों से रक्तस्राव होता है, घाव आंत के अंदरूनी भाग में बड़े या छोटे हो सकते हैं।
Ø लक्षणों में गुदा से रक्त बहना, खूनीदस्त, पेट में ऐंठन और दर्द शामिल है.
Ø उपचार से रोगी स्वस्थ तो हो जाते हैलेकिन कुछ समय के बाद फिर इसके लक्षण उजागर हो सकते हैं और यह चक्र जीवन भर भी चल सकताहै।
Ø बिना डॉक्टर की सलाह के दवा को बंद न करे. किसी भी प्रकार की लक्षणों में परिवर्तन आने पर तुरंत संपर्क करे.
किसी भी प्रकार की दर्द निवारक गोलिया न खाये बिना सलाह के.
निरंतर चिकित्सक के संपर्क में रहे.
वास्तविक कारण
बेहतर आहार की कमी अल्सरेटिव कोलाइटिस का कारण नहीं होता। शोधकर्ताओं का मानना है कि कई कारकों के एक साथ आने से प्रतिरक्षा प्रणाली, आंतों पर हमला करती है। वहीं आनुवंशिकी और पर्यावरणीय कारण अल्सरेटिव कोलाइटिस के विकास में सहायक बन जाते हैं। लेकिन भोजन इसका कारण नहीं होता।
अल्सरेटिव कोलाइटिस पर भोजन कैसे प्रभाव डालता है?
स्वास्थ्यवर्धक और संतुलित पोषक आहार लेना अत्यंत आवश्यक है। रोग के लिए कोई सामान्य आहार निर्देश नहीं हैं, केवल लेक्टोस हजम ना कर पाने वालों को दूध और उसके बने पदार्थों की मनाही है। मलत्याग की आवृत्ति बढ़ाने वाले आहार जैसे कैफीन, शराब, लाल मिर्च और दस्तावर फल (आलूबुखारा, चेरी और आडू) नहीं लिए जाने चाहिए। कब्ज के रोगियों को इसबगोल या चोकर के रूप में अतिरिक्त रेशा लेना लाभकारी होता है।
क्या यूसी से कैंसर हो सकता है?
लम्बे समय तक बने रहने वाले (क्रोनिक) यूसी में कैंसर का खतरा समय और रोग के विस्तार के साथ बढ़ता जाता है। यूसी में कैंसर के खतरे के लिए जिम्मेदार कारकों में रोग का समय लम्बा होना, रोग का विस्तारित होना, कोलन कैंसर का पारिवारिक इतिहास, आंत में सिकुड़न और कोलोनोस्कोपी में सूजन के बाद उत्पन्न छद्म-पोलिप्स का पाया जाना आता है।
कैंसर होने से बचाने के लिए ऐसा क्या है जो मैं कर सकता हूँ?
यदि आपको अल्सरेटिव कोलाइटिस है तो आप तय दवाएं नियमित लेकर अपने आंत के कैंसर की सम्भावना को घटा सकते हैं।आपकी स्थिति की निगरानी का सही तरीका है कोलोनोस्कोपी कराते रहना।
Dr Sundeep Goyal
MD, DM (GASTROENTEROLOGY)