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मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता घटने के साथ तपेदिक या टीबी जैसी बीमारियां बढ़ती जाती हैं। टीबी खतरनाक है लेकिन लाइलाज नहीं। होम्योपैथी चिकित्सा में इस रोग का इलाज बेहद कारगर है।

 यह एक चिरकालीन रोग है| रोगी को थकान-कमजोरी और बीमार सा अनुभव होता है| शाम को हल्का बुखार आता है| लक्षण संभवत: छाती और श्वसन संस्थांनों से जुडे होते है| 

तपेदिक ग्रसित रोगियों के कफ, छींकने, खांसने, थूकने और उनके करीब रहकर उनके द्वारा छोडे गए कार्बनडाइऑक्सांइड के संपर्क में आने से कोई भी स्वस्‍थ व्यक्ति भी आसानी से टीबी का शिकार हो सकता है।

डायबिटीज, कैंसर, एचआईवीके मरीजों मेंतपेदिक होने काखतरा ज्यादा होताहै।

क्षयरोग के लिए होम्योपैथिक दवाएं प्राकृतिक और उपयोग करने के लिए सुरक्षित हैं |  

होम्योपैथिक दवाएं रोग और उसके लक्षणों को केवल ठीक नहीं करती हैं बल्कि उसको जड़ से खत्म करती हैं ताकि फिर से वो बीमारी उत्पन्न ना हो सके | 

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