हृदय रोग और कोलेस्ट्रोल और खाद्य तेल का हार्ट पर प्रभाव
१.क्या कोलेस्ट्रोल का सेवन हानिकारक है
उत्तर-हमारे शरीर की नार्मल functioning के लिए कोलेस्ट्रोल जरूरी होता है,हालाँकि ह्रदय रोगियों को कोलेस्ट्रॉल युक्त पदार्थो का सेवन कम मात्रा में करना चाइये।कोलेस्ट्रोल युक्त पदार्थों का अधिक मात्रा में उपयोग करने का प्रभाव ,हर व्यक्ति पर अलग-अलग होता है,क्योंकि पेट की आतों में इसका अवशोषसन,व्यक्ति के जीन पर निर्भर करता है।
२.क्या अधिक वसा युक्त खाना सेहत के लिए नुकसान दायक है?
उत्तर-कुछ स्टडीज बताती हैं कि वसा के अधिक सेवन से ह्रदय पर प्रभाव कम होता है लेकिन अधिकतर स्टडीज इसका उपयोग ,कम करने पर जोर देती है।मोटापा और हार्ट अटैक का भी कोई डायरेक्ट रिलेशन अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है।इसीलिए कम वसा युक्त भोजन और साबुत अनाज वाला भोजन ज्यादा उपयुक्त होता है। ओमेगा 6 युक्त वसा वाला खाद्य पदार्थ ह्रदय के लिए फायदेमंद होता है।
३.कौन सा तेल खाना पकाने के लिए उपयोग में लेना चाइये?
उत्तर- बाजार मे बहुत प्रकार के तेल उपलब्ध हैं। विभिन्न प्रकार के खाद्य तेलों का रंग,रूप,गुण, प्रकृति, स्वाद भिन्न प्रकार का होता है।कुछ कंपनी अपने तेल को डायबिटिक फ्रेंडली या हार्ट फ्रेंडली होने का दावा करके विज्ञापन करती है, जो कि गलत है।उदाहरण के तौर पर किसी स्टडी में किसी तेल में गुड कोलेस्ट्रॉल 1% भी ज्यादा पाया गया हो तो कंपनी उसे ,ऐसे प्रचार प्रसार करती हैं, कि इस तेल के उपयोग से हार्ट की बीमारी नहीं होगी जो कि सही नहीं है। सभी तेल अलग अलग तापमान पर अलग-अलग व्यव्हार करते हैं।Deep फ्राइड फ़ूड जेसे पूरी कचोड़ी,समोसा,के लिए हमेशा देशी घी,सरसों का तेल,नारियल का तेल या unrefined तेल का उपयोग करना चाहिए।भारतीय व्यंजन एवं खाद्य पदार्थ ज्यादातर डीप फ्राइड होते हैं। भारत में सरसों का तेल बहुत उपयोग होता है।स्टडीज बताती है कि सरसों का तेल भी उतना लाभदायक है जितना ओलिव और कनोला का तेल होता है। सलाह- डीप फ्राइड खाना पकाने पर कुछ रिफाइंड तेल और ओलिव आयल ,ज्यादा तापमान की वजह से हानिकारक तत्वों में बदल जाते है जो कि केंसर हृदय रोग जेसी गंभीर बीमारी करते हैं इसीलिए उच्च तापमान पर स्थिर रहने वाले खाद्य तेल का इस्तेमाल डीप फ्राइड भोजन पकाने में किया जाना चाइये।जेसे देसी घी नारियल का तेल sun फ्लावर आयल इत्यादि। हालांकि नारियल का तेल देसी घी में सैचुरेटेड वसा की मात्रा ज्यादा होती है तो इनका उपयोग कम मात्रा में किया जाना चाइये।
४.क्या उपयोग में लाये गए तेल को दुबारा काम में लेना चाइये उत्तर- एक बार जिस तेल या घी में भोजन पकाया गया हो उस बचे हुए तेल को उपयोग में नहीं लेना चाइये।
५. ख़राब तेल को कैसे पहचानें? उत्तर- जो तेल या घी गर्म करने पर अपना रंग बदल दे या dark या ग्रीश जैसा हो जाये ,इसका मतलब है कि अब तेल अपने हानिकारक तत्वों में बदल गया है अब इसका उपयोग न करें अधिकांश महिलाये और हलवाई यही तेल बार बार उपयोग में लेते रहते है जिस से हार्ट अटैक और लकवा का खतरा बढ़ जाता है।