कैंसर इमम्युनोथेरपी: आशा की किरणकैन्सर एक जानलेवा बीमारी है जिसकी वजह से पूरे विश्व में लाखों मौतें प्रतिवर्ष होती हैं हालांकि प्रारंभिक अवस्था के कैंसर पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं. किन्तु चौथी अवस्था के कैंसर या रक्त कैंसर के रोगियों का इलाज़ पूरी तरह से सफल नही हो पाता तथा इलाज़ से होने वाली प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं भी अधिक होती हैं. कैंसर इमम्युनोथेरपी का आविष्कार कैंसर के रोगियों के लिए एक वरदान की तरह है. यह एक नई आशा की किरण ले कर आई है. नवीनतम अनुसंधान के अनुसार चौथी अवस्था या कीमोथेरेपी से ठीक ना होने वाले कैंसर भी इमम्युनोथेरपी द्वारा ठीक किये जा सकते हैं.इमम्युनोथेरपी में रोगी की सामान्य रोग प्रतिरोधक क्षमता को कृत्रिम रूप से बढ़ा दिया जाता है जिससे वह कैंसर की कोशिकाओं को समाप्त कर सके. सामान्यतः इमम्युन सिस्टम में कोशिकाएं, अंग या कुछ स्त्रावी पदार्थ होते हैं जो जीवाणु या अपरिचित पदार्थ (foreign substance) को पहचान कर उन्हें समाप्त करते हैं. कुछ परिस्थितियों में रोग प्रतिरोधक कोशिकाएं (T cells) या तो कैंसर की कोशिकाओं को पहचान नही पाती या पहचान लें तो इमम्युन रिस्पांस इतना प्रभावी नही होता की कैंसर कोशिकाएं समाप्त हो सकें. इस इमम्युन रिस्पांस को बढ़ाने के दो तरीके हैं.रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं को शरीर से पृथक कर प्रयोगशाला में तैयार किया जाता है ताकि वे कैंसर कोशिकाओं को आसानी से पहचान सकें और प्रभावी तरीके से उन्हें समाप्त भी कर सकें.रोगी के शरीर के रक्त में विशेष रूप से तैयार एंटीबॉडी या कोई केमिकल पदार्थ पहुंचा दिया जाता है जो कैंसर कोशिकाओं को ढूंढ कर उन्हें समाप्त करते हैं.

इमम्युनोथेरपी के प्रकार:

1.मोनोक्लोनल एंटीबॉडी

2. एडॉप्तिव सेल थेरपी (adoptive cell therapy)

3. इमम्युन चेक पॉइंट इंहीबिटर

4. कैंसर वैक्सीन

5.इमम्युन रेसपोंस मोड़ीफायर


मोनोक्लोनल एंटीबॉडी:सामान्यतः शरीर की इमम्युन सेल्स एंटीबॉडी बनाती हैं जो रक्त में प्रवाहित होने वाले जीवाणु या बाहरी पदार्थ या कैंसर कोशिकाओं की सतह पर स्थित एंटीजन को पहचान कर उस कोशिका की सतह पर चिपक जाती हैं और इमम्युन रिस्पांस द्वारा उसे खत्म करती है. इस तरह की एंटीबॉडी जो कैंसर की कोशिका पर स्थित विशेष एंटीजन को पहचान सके और उसे नष्ट कर सके को मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कहा जाता है और कैंसर के इलाज़ के लिए ये प्रचुर मात्रा में प्रयोगशाला में तैयार की जाती हैं. बहुत से कैंसर के इलाज़ में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान है. चूंकि ये लक्षित एंटीजन सामान्य कोशिकाओं पर नही होते इसलिए कीमोथेरेपी से होने वाले दुष्प्रभाव भी नहीं होते. इन्हें अकेले या कीमोथेरेपी के साथ दिया जाता है


कैंसर वैक्सीन:वैक्सीन का उपयोग कैंसर के बचाव व उपचार दोनो के लिए किया जाता है. जो कैंसर किसी इंफेक्शन की वजह से होते हैं जैसे क़ि लिवर कैंसर हेपटाइटिस बी और सर्विकल कैंसर ह्यूमन पेप्पीलोमा वायरस से होते हैं.इन वायरस की वैक्सीन लगवाने से इन कैंसर का बचाव किया जा सकता है. कैंसर के इलाज़ के रोगी के शरीर से रक्त ले कर वैक्सीन बनाई जाती है. अभी केवल प्रोस्टेट कैंसर के लिए ही वैक्सीन उपलब्ध है और इसके उपयोग से कैंसर को कुछ समय तक नियंत्रित किया जा सकता है.


ADOTPIVE T cell थेरपी:इमम्युनोथेरपी सभी कैंसर में एक जैसा प्रभाव नही दिखातीं एवं कुछ कैंसर में कुछ विशेष तरह की इमम्युनोथेरपी ही अधिक प्रभावी होती हैं. इमम्युनोथेरपी का एक प्रकार एड़ोप्तिव सेल थेरपी, रक्त कैंसर के इलाज में अत्यधिक प्रभावी सिद्ध हुई है. इस थेरपी में रोगी के रक्त से रोग प्रतिरोधक कोशिकाएं (T cells) पृथक कर इन्हें प्रयोगशाला में कोशिका पालन (cell culture) द्वारा विकसित किया जाता है एवं इस तरह संशोधित किया जाता है की इन T cells पर एक विशेष तरह के रिसेप्टर्स उत्पन्न हो जाएं. इन विकसित कोशिकाओं को chimeric antigen receptor T cell (CAR T cell) कहा जाता है.ये विशेष कोशिकाएं कैंसर कोशिकाओं पर उपस्थित लक्ष्य को पहचान कर उस पर चिपक जाती हैं और उस कैंसर कोशिका को समाप्त कर देती है. इसे CAR T cell थेरपी कहा जाता है. पिछले कुछ महीनों में प्रकाशित अनुसंधान के अनुसार वो रक्त कैंसर जो कीमोथेरेपी या स्टेम सेल थेरपी के बाद भी ठीक नही हुए,इमम्युनोथेरपी के प्रयोग से उन्हें ठीक करने में 90 % तक सफलता प्राप्त हुई है.


इमम्युन चेक पॉइंट इंहीबिटर थेरपी:T सेल की सतह पर उपस्थित एक प्रोटीन PD-1 होता है जो की T cells को कैंसर कोशिकाओं पर आक्रमण करने से रोकता है. उसे ऐसा करने से रोकने के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के रूप में दवाई विकसित की गयी है जो की शरीर में पहुंचने के बाद उसी PD-1 प्रोटीन पर कार्य करके उसे निष्क्रिय कर देती है जिससे वही T cell अब कैंसर कोशिकाओं को पहचान कर उन्हें नष्ट करने योग्य हो जाती है. अभी मुख्यतः: त्वचा, फेफड़े, स्तन एवं किडनी कैंसर में ये अत्यधिक प्रभावी साबित हुईं हैं.

इमम्युनोथेरपी के लाभःचौथी अवस्था में भी प्रभावी रूप से कारगरकीमोथेरेपी एवं स्टेम सेल के बाद भी ठीक न होने वाले रक्त कैंसर में असरकारीलगभग सभी मुख्य कैंसर में प्रभावशाली जैसे की त्वचा कैंसर, रक्त कैंसर, लिम्फोमा, माइलोमा, स्तन/फेफड़े/किडनी के कैंसर इत्यादि.कम से कम प्रतिकूल प्रतिक्रिया (side effects) जैसे की बुखार खांसी बदन दर्द रक्त चाप कम होना भूख कम होना कमजोरी इत्यादि हैं और ये भी इमम्युन कोशिकाओं की शरीर की सामान्य कोशिकाओं से होने वाले इमम्युन रेसपोंस की वजह से होती हैं तथा सामान्य उपचार व देखभाल से ठीक हो जाती हैं.किमोथेरपी की दवाइयों से ज्यादा प्रभावी एवं कम हानिकारक.